शिक्षक दिवस 2025 : आज 5 सितंबर 2025 का दिन, पूरे भारत में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन उस महान व्यक्ति को समर्पित है, जिनके ज्ञान, विचारों और दर्शन ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा दी।

हम बात कर रहे हैं भारत के दूसरे राष्ट्रपति, महान दार्शनिक और शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की। उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का उनका अनुरोध, उनके शिक्षकों के प्रति असीम सम्मान को दर्शाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डॉ. राधाकृष्णन सिर्फ एक शिक्षक या राष्ट्रपति ही नहीं थे, बल्कि एक ऐसे लेखक भी थे, जिनकी कलम में विचारों का एक पूरा ब्रह्मांड था?

शिक्षक दिवस 2025 पर पढ़ें डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अनमोल रचनाएं! आज हम उनके कुछ ऐसे ही साहित्यिक खजानों के बारे में बात करेंगे, जो हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। ये सिर्फ किताबें नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका सिखाने वाले दर्शन हैं।

अनमोल ज्ञान का भंडार: डॉ. राधाकृष्णन की 5 अद्भुत रचनाएं

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की किताबें दर्शन, धर्म और जीवन की गहराइयों को सरल भाषा में समझाती हैं। उनकी रचनाएं हमें सिर्फ ज्ञान ही नहीं देतीं, बल्कि हमें खुद से और दुनिया से जुड़ने का एक नया नज़रिया देती हैं।

  • “Search For Truth” (सत्य की खोज): इस किताब में डॉ. राधाकृष्णन ने जीवन के सबसे बड़े सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश की है। उन्होंने बताया है कि सत्य बाहर की दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही छिपा है। यह किताब हमें आत्म-चिंतन और आंतरिक ज्ञान की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाती है। अगर आप जीवन के उद्देश्य को लेकर भ्रमित हैं, तो यह किताब आपके लिए एक मार्गदर्शक का काम कर सकती है।
  • “The Philosophy of Rabindranath Tagore” (रवीन्द्रनाथ टैगोर का दर्शन): डॉ. राधाकृष्णन रवीन्द्रनाथ टैगोर से बहुत प्रभावित थे। इस किताब में उन्होंने टैगोर के विचारों को खूबसूरती से पेश किया है। टैगोर का मानवतावाद, प्रकृति के प्रति प्रेम और आध्यात्मिक सोच, सभी को इस किताब में बहुत ही सरलता से समझाया गया है। यह किताब हमें सिखाती है कि कैसे कला, प्रकृति और आध्यात्मिकता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
  • “Hindu View of Life” (हिन्दू जीवन-दृष्टि): यह डॉ. राधाकृष्णन की सबसे लोकप्रिय किताबों में से एक है। इस किताब में उन्होंने हिन्दू धर्म की जटिलताओं को बहुत ही आसान और वैज्ञानिक तरीके से समझाया है। उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म सिर्फ कर्मकांडों का संग्रह नहीं, बल्कि सहनशीलता, करुणा और आत्म-साक्षात्कार का दर्शन है। यह किताब उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो हिन्दू धर्म को उसकी गहराई से समझना चाहते हैं।
  • “Bharatiya Darshan I” (भारतीय दर्शन – भाग 1): भारतीय दर्शन पर लिखी गई यह किताब ज्ञान का एक महासागर है। इसमें वेदों, उपनिषदों, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के दर्शन को विस्तार से बताया गया है। अगर आप भारतीय संस्कृति और दर्शन की जड़ों को जानना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
  • “An Idealist View of Life” (एक आदर्शवादी जीवन-दृष्टि): यह किताब भारतीय दर्शन के आधार पर जीवन जीने का तरीका बताती है। इसमें उन्होंने यह समझाया है कि जीवन सिर्फ भौतिक सुखों के लिए नहीं है, बल्कि सत्य की खोज और मानवता की सेवा के लिए भी है। यह किताब हमें जीवन में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता के महत्व को समझाती है।

 

डॉ. राधाकृष्णन का शिक्षा दर्शन: क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?

शिक्षक दिवस 2025 पर पढ़ें डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अनमोल रचनाएं! लेकिन उससे पहले यह जानना भी ज़रूरी है कि उनके जन्मदिन को ही इस खास दिन के लिए क्यों चुना गया। 1962 में जब वे भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके छात्रों ने उनका जन्मदिन भव्य रूप से मनाने की अनुमति मांगी।

इस पर उन्होंने कहा कि “मेरे जन्मदिन को अलग से मनाने के बजाय, अगर इस दिन को सभी शिक्षकों के सम्मान में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाए, तो यह मेरे लिए गर्व की बात होगी।”

यह घटना दर्शाती है कि डॉ. राधाकृष्णन के लिए शिक्षण का पेशा कितना महत्वपूर्ण था। उनका मानना था कि एक शिक्षक सिर्फ ज्ञान ही नहीं देता, बल्कि चरित्र का निर्माण भी करता है। वे कहते थे कि “शिक्षक को देश के सबसे अच्छे दिमागों में से एक होना चाहिए।”

उन्होंने शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने का ज़रिया नहीं, बल्कि व्यक्ति के नैतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विकास का माध्यम माना। उनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान देना नहीं, बल्कि सीखने की ललक पैदा करना है।

आज के दौर में डॉ. राधाकृष्णन के विचारों की प्रासंगिकता

आज के डिजिटल युग में, जब जानकारी का भंडार हमारे हाथ में है, डॉ. राधाकृष्णन के विचार और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो जाते हैं। उनकी किताबें हमें सिखाती हैं कि सिर्फ सूचनाएं इकट्ठा करना ही ज्ञान नहीं है,

बल्कि उस ज्ञान को जीवन में उतारना और उसका उपयोग मानवता की भलाई के लिए करना ही सच्चा ज्ञान है।डॉ. राधाकृष्णन ने हमेशा सभी धर्मों और संस्कृतियों के बीच एक पुल बनाने की कोशिश की। उनकी रचनाएं हमें सिखाती हैं

कि विविधता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। आज जब दुनिया में कई तरह की विचारधाराएं आपस में टकरा रही हैं, उनकी सहनशीलता और समावेशिता की सीख हमें एक बेहतर समाज बनाने में मदद कर सकती है।

डॉ. राधाकृष्णन: एक व्यक्ति, कई भूमिकाएं

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन कई उपलब्धियों से भरा था। वे एक महान शिक्षक, दार्शनिक, विद्वान, राजनयिक और दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में काम किया, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्मों और नैतिकता के अध्यक्ष रहे, और भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी बने। हर भूमिका में उन्होंने अपनी विद्वत्ता और नैतिक मूल्यों की छाप छोड़ी।

निष्कर्ष: उनकी विरासत को आगे बढ़ाएं

शिक्षक दिवस 2025 पर पढ़ें डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अनमोल रचनाएं! और यह सिर्फ एक शीर्षक नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। आज के दिन हमें न केवल अपने शिक्षकों को सम्मान देना चाहिए,

बल्कि डॉ. राधाकृष्णन के विचारों को भी अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।उनकी किताबें हमें सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं हैं, बल्कि समझने और जीने के लिए हैं।अगर आप वाकई एक बेहतर इंसान बनना चाहते हैं

और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं, तो डॉ. राधाकृष्णन की इन रचनाओं को ज़रूर पढ़ें। ये आपको सिर्फ ज्ञान ही नहीं देंगी, बल्कि आपके जीवन को एक नई दिशा भी देंगी।

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